Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग-21 ( Suicide~ आत्महत्या )

Chapter-7: Suicide ~ आत्महत्या

"क्या बोला तूने मैने सुना नही..."

"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की थी......"

मुझे फिर भी यकीन नही हुआ और ये सोचकर कि मैने ग़लत सुना होगा मैने एक बार और अरुण से पुछा... शायद उसने sick की जगह गलती से suicide कह दिया होगा...

"क्या... बोला..."

"एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है..."

"क्याआ... मै समझा नही फिर से बोल...."


तीन बार से मैं लगातार वही सवाल पुछ रहा था और अरुण मेरे उन सवालो का एक सा जवाब दे रहा था....उस वक़्त कुछ हुआ ,कुछ अलग सा ही हुआ,कुछ अलग सा ही अहसास हुआ मुझे ....मैं ये सुनते ही वहाँ से दौड़ते हुए सीधे कॉलेज से बाहर आया बिना ये सोचे हुए भी कि मुझे जाना कहाँ है, बिना ये सोचे कि सीनियर्स मुझे पकड़ सकते है और मेरा कचूमर बना सकते है और आज जो मैने किया, उसके अनुसार इसकी प्रोबब्लीटी भी ज्यादा थी .

कॉलेज के मेन गेट से मैं अभी  निकला ही था कि मेरी नज़र उस एक पेड़ पर पड़ी जिस पर रंग बिरंगे फूल लगे हुए थे....वो वही पेड़ था, वहाँ उस वक़्त हवा भी वही बह रही थी ,जो रोजाना बहती थी , कॉलेज भी वही था और उसमे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भी वही थे...सूरज आज भी पूरब से निकल कर पश्चिम की तरफ बढ़ रहा था, हवा मे ऑक्सीजन की मात्रा भी कल के बराबर ही थी... लेकिन जब से एश के suicide की खबर सुनी तो उस एक पल मे जैसे पूरी दुनिया बदल गयी हो, रंग-बिरंगी धरती जैसे एक पल मे भीषण अकाल  के कारण सुख गयी हो, ऐसा लगने लगा था मुझे उस वक़्त....लोग मेरे सामने से आते और चले जाते, उस वक़्त यदि कोई मुझपर लात-घुसो की बरसात भी कर देता तो मैं सिवाय उसे देखने के कुछ नही करता...... मै पागल नही था और ना ही बेवकूफ... पर फिर भी मुझे ऐसा लग रहा था... क्यों...? ये आज तक सस्पेंस है.

"अरुण...नवीन..."मैने ये दो नाम लिए, जो मेरे खास दोस्त थे ,

"कहाँ जा रहा है..."पीछे से मेरे खास दोस्त अरुण ने आवाज़ दी, वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गया था बिना ये जाने उसे जाना कहाँ है....

"एश किस हॉस्पिटल मे है...."मैने पूछा

मेरी घबराहट को अरुण पहचान गया और मेरी बेचैनी को समझकर वो बोला"ये तो मुझे नही मालूम...."
"तुझे किसने बताया कि एश ने सुसाइड करने की कोशिश की है...."

"उसकी क्लास मे कुछ लड़के बात कर रहे थे, जिसे मेरे दोस्त ने सुन लिया और फिर मुझे खबर दी...."

इस वक़्त एश से मिलने का बहुत दिल कर रहा था , लेकिन उससे मिलूं भी तो कैसे ,यदि मैं उससे मिला भी तो मैं क्या कहूँगा...? कि मैं यहाँ क्यूँ आया, किसलिए आया किस हक़ से आया..... उसपर से भी यदि उसने ये सवाल कर दिया की... मै कौन हूँ...? तब...? नही, बेइज्जती हो जाएगी... दिल ही दिल हज़ार गोलिया फाइयर करके मैने वहाँ से वापस अपनी क्लास मे जाने का सोचा....

कॉरिडार मे अब भी स्टूडेंट्स बाहर थे, कुछ टहल रहे थे तो कुछ ग्रूप बनाकर बाते कर रहे थे, वहाँ मुझे अरुण का वो दोस्त भी दिखाई दिया जो एश की क्लास मे था.....

"सुन ना यार...."मैने अरुण के दोस्त को बुलाया और उस साले ने मेरी दुखती रग पर हाथ तो रखा ही साथ ही साथ हथौड़ा मारते हुए बोला...

"अरमान तुझे मालूम चला या नही....एश ने स्यूयिसाइड करने की कोशिश की है...."

"हां मालूम है...कोई वजह मालूम चली कि उसने ऐसा क्यूँ किया...?"

"प्यार, मोहब्बत का चक्कर है दोस्त....तू भूल जा उसे..."

जितनी आसानी से उसने मुझे कह दिया उतनी आसानी से मैने उसकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया और उससे पुछा कि एश किस हॉस्पिटल मे है....

"मालूम नही....लेकिन कॉलेज ऑफ होने तक किसी से पुछ्कर तुझे बता दूँगा...."

"थैंक्स  , अब चलता हूँ...

"चल बाय ..."
वहाँ से मैं सीधे अपनी क्लास मे आकर बैठ गया ,ये सोच सोच कर दिल फटा जा रहा था कि एश ने किसी के प्यार मे अपनी जान देने की कोशिश की है....? अब कौन आशिक आ गया उसका... अभी तक तो सिर्फ मै और bhu बस थे और इतनी जल्दी ये प्यार गहरा कैसे गया की सुसाइड -वुसाइड करने की नौबत आ गई...?

"वो उसे बहुत प्यार करती है ,इसका मतलब मैं और मेरे अरमानो के लिए उसके दिल मे कोई जगह नही होगी.. कभी भी ...."मैं उस वक़्त खुद से ही सवाल जवाब किए जा रहा था.... मुझे ये मान लेना चाहिए था.. मुझे अपने man की बात उस दिन सुन लेनी चाहिए थी... मुझे ऐश को छोड़कर किसी और से दिल लगाना चाहिए था... पर.......

"लेकिन उस दिन क्लास मे तो वो मुझे देख रही थी...."मैं उस वक़्त झूठ को सच और सच को झूठ साबित करने पर लगा हुआ था, उस वक़्त मुझे ज़रा भी ख़याल नही था कि फिज़िक्स वाले सर क्लास मे आ चुके है....

"हे, तुम..."

"हाऐईयईईन्न...."अरुण ने मुझे नोंचा तो मैं होश मे आया....

"क्या हाई हाईीन लगा रखे हो, पढ़ना है तो चुप चाप रहो वरना बाहर जाओ..."फिजिकस वाले ने मुझे चमकाया

"ये क्या...? मैने एक शब्द भी नही बोला... ऊपर से एकदम शांत बैठा हूँ...? इन सालो को दौरा पड़ता है क्या...?"उस फिज़िक्स वाले कुर्रे सर को देखकर मैने खुद से कहा.....

"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते..."जब किसी ने अपने दिमाग़ का theory कुर्रे सर को सुनाया तो उसे यही जवाब मिला....ये जवाब सिर्फ़ उसे ही नही बल्कि कई और भी स्टूडेंट्स को भी मिला.

जब भी कोई उल्टा सीधा सवाल करता तो कुर्रे सर उस पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ कर कहते कि "आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते...." और फिर सब शांत हो जाते....क्वेस्चन तो मेरे दिमाग़ मे भी था लेकिन उस वक़्त मैं नही पुछ पाया शायद एश की वजह से......कुर्रे सर की भी एक बडी  अजीब और बड़ी घटिया आदत थी... वो क्लास ख़तम होने के कुछ देर पहले एक-एक स्टूडेंट से उस दिन जो पढ़ाया गया उसे बताने को कहते...जो बता देता वो बैठ जाता था लेकिन ना बताने वाले को कुर्रे सर फिज़िक्स डिपार्टमेंट मे बुलाते और वहाँ , इज़्ज़त की धज्जिया उड़ाते.... अटेंडेंस पेल देते वो अलग.

"तुम बताओ...."

मैं चुप चाप खड़ा हुआ और दिमाग़ को परत दर परत खोल कर देखने लगा कि मैं इस बारे मे कुछ जानता हूँ या नही.....थियरी ऑफ रेलेटिविटी के टॉपिक मे मैं अभी वर्जिन था लकिन कुछ दिन पहले मैने किसी न्यूज़ पेपर मे कुछ पढ़ा था और जो पढ़ा था वही कुर्रे सर के उपर दे मारा.....

"सर, मेरा एक सवाल है...कुछ दिन पहले मैने पढ़ा था कि कुछ पार्टिकल ऐसे भी है जिनकी स्पीड, लाइट के स्पीड  से भी तेज है और यदि ऐसा है तो फिर आइनस्टाइन का प्रिन्सिपल ग़लत हो गया ना.... आप क्या कहते है इस बारे मे...."

"आइनस्टाइन हो या कोई आम आदमी हो  , कोई भी फिज़िक्स के नियमो के खिलाफ नही जा सकता...बैठ जाओ..."

"थैंक  यू सर "

उस दिन बहुत से स्टूडेंट्स कुर्रे सर के लपेटे मे आ गये...मैं चाहता था कि अरुण भी उस लपेटे मे फस जाए, अभी तक सिर्फ मै पेला रहा हूँ.. ये भी तो पेलाये.. साले की ख़ुशी देखी नही जा रही मुझसे.... लेकिन साला होशियार निकला और जब कुर्रे सर ने उसे खड़ा किया तो लंबा चौड़ा भाषण उसने दे डाला.....


"बड़े ध्यान से सुन रहा था कुर्रे का बोरिंग लेक्चर....."जब अपना भाषण देकर अरुण बैठा तो मैने उससे कहा

"मतलब...."

" उसका लेक्चर सुने बिना तू इतना सब कैसे बोल सकता है..."

"ये सब तो पहले से मालूम था मुझे..."कंधा उचका कर वो बोला....
.
"मैं आज drawing की क्लास अटेंड नही करूँगा...." अपना बैग  बंद करते हुए नवीन ने हम दोनो से कहा....

"क्यूँ जाके कही  मरवाना है...?"

"अबे... तेरी .."अरुण को एक मुक्का  लगाकर नवीन ने कहा "जब देखो तब गाली भरे रहता है मुँह मे...."

"तू उसको हटा और ये बता कि आज ड्रॉयिंग की क्लास क्यूँ छोड़ रहा है....? सुना है बहुत हार्ड सब्जेक्ट है ये..."मैं नही चाहता था कि वो वहाँ से जाए , क्यूंकी नवीन के साथ रहने से क्लास बोरिंग नही लगती थी...

"भैया आ रहा है घर से और 3 बजे उन्हे रेलवे स्टेशन लेने जाना है,..."

"जब काम 3 बजे है तो फिर अभी से क्यूँ जा रहा है,..."

"बस जा रहा हूँ....रूम की सॉफ-सफाई भी करनी है ,वरना भाई रूम मे आकर मेरा हाल-चाल बाद मे पुछेगा उससे पहले मुझे बोलेगा कि चल पहले रूम सॉफ कर.. चमकायेगा वो अलग और घर मे फ़ोन करके माँ -बापू को खबर देगा वो अलग.. फिर उधर से भी लेक्चर मिलेगा...."

"आज तेरे रूम पर ही रुकने का प्लान है क्या उनका...."मेरे अंदर एक अलग ही खिचड़ी पक रही थी जिसमे मिर्च मसाले डालते हुए नवीन बोला...



न्यू स्टोरी ~बॉयज हॉस्टल (लघु कथा )

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6 Comments

Sana Khan

01-Dec-2021 02:05 PM

Good

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:27 PM

बहुत सुंदर भाग।बहुत रोचक

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Sana khan

28-Aug-2021 04:08 PM

बहूत बहूत अच्छी कहानी

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